Wednesday, June 22, 2011

हम चूहे-बिल्ली है ...................या इन्सान........??

कब तक दुनिया की नजरों में हम कीड़े-मकोड़े रहंगे................?

कल आज-तक न्यूज़ चैनेल में एक समाचार ने रोंगटे खड़े कर दिए, कोयम्बतूर की गरीब महिलाओं पर ब्रेस्ट-कैंसर की दवाई का clinical trial हुआ , जिसमें बहुत सारी महिलाओं की तबियत बिगड़ गई. हर महिला को पहले 10,000 रुपये दिए गए किन्तु इस बात से अन्जान रखा गया कि उन  पर किसी दावा का परीक्षण किया जा रहा है.
* जब भी किसी दावा का ट्रायल किया जाता है  तो विषय में जानकारी देना आवश्यक होता है और प्रिस्खन के दौरान पूरा ध्यान रखा जाता है.पर इन महिलाओं को इससे अन्जान रखा गया था.

* 2005 तक तक भारत के लोगों को गिनी-पिग नहीं बनाया जा सकता था किन्तु उसके बाद नियम ढीले कर दिए गए और उसके बाद तो दुनिया कि लगबग 5 -10 % दवाओं का ट्रायल भारत में ही होने लगा है. 
* जब भी दवाओं का ट्रायल होता है तो अस्पताल कि ethics committee से अनुमति लेने के बाद ही किया जा सकता है और भारत में आज तक कोई भी काम बिना नियमों कि धज्जियाँ उड़ाए किया ही नहीं जा सकता है. यहाँ पर भी नियमों  को तक पर रख दिया गया.

* भोपाल और इंदौर जैसे नगरों से इसी तरह कि ख़बरें छन-छन के आती रहती है पर क्या हुआ..? कुछ नहीं.......! 
* भारत में इन दवाओं का ट्रायल जानवरों के बाद इंसानों पर करने के लिए के लिए बेहद आसान है क्योंकि यहाँ कि सरकार कि निगाह में इन्सान कि जान कि कीमत कुछ भी नहीं है.

* जिन दवाओं का ट्रायल भारत में होता है उसका खर्चा पूरी दुनिया कि अपेक्षा यहाँ  60 % सस्ता पड़ता है और सरकारी नियमों कि अनदेखी तो जग जाहिर है. अमरीका जैसे देश ने तो दवाओं के ट्रायल को अपने देश में लगभग बंद कर दिया है क्योंकि वो अपने देशवासियों कि जन जोखिम में नहीं डालना चाहता क्या भारत में आप इस बात कि कल्पना भी कर सकते हैं..??

* जिन दवाओं का ट्रायल भारत में होता है और जिनके लिए भारतियों कि जन जोखिम में डाली जा रही है वे दवाएं हमारे  लिए अनुपलब्ध रहती हैं केवल अमरीका तथा यूरोप जैसे देशों के लिए उपलब्ध रहती हैं.

ये भारत है जहाँ कुछ भी कभी भी किया जा सकता है. है हो भारत......!!









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3 comments:

  1. वीना जी,
    वाकई रॊंगटे खडे करने वाली जानकारी दी हॆ आपने! नयी नयी दवाई के प्रयोग के लिए भारतीय ऒर सफल होने पर उनका लाभ उठाने के लिए अमेरिकी ऒर य़ूरोपीयन.किसी शायर ने कहा हॆ-
    ’वक्त गुलशन पे पडा,तो लहू मॆंने अपना दिया
    अब बहार आई हॆ,तो कहते हॆं तेरा काम नहीं.’

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  2. जब तक डंडा नहीं चलेगा, यही चलेगा

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  3. dhanyavad aapki tippaduyon ke liye.

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