दीया उम्मीद का
इस प्रछन्न अन्धकार में;
इक दीया मै
उम्मीद का जलाताहूँ,
और
वहाँ रख देता हूँ;
जहाँ
अँधेरा अभी भी बाकि है,
फिर
इक और दीया
इस उम्मीद से
रौशन करता हूँ:
कोई और भी
इसी तरह से
इक और दिया जलाएगा ;
और
जहाँ-जहाँ तिमिर पसरा होगा,
वहाँ-वहाँ से वह निकल जायेगा।
और ...और
दीयों की इस श्रृंखला में
पूरा देश दीपोत्सव का त्यौहार,
दीपावली हर्ष और आनंद से मनायेगा।
दीपावली हर्ष और आनंद से मनायेगा।